मेरे लिए कार्टून एक विधा से बढकर,व्यंग के सारथी के समान,एक सामाजिक आंदोलन हैं.....
डूबे जी ! ये तो सांता नहीं..... संता और बंता हैं!! कुर्सी -कुर्सी सब भजें, कुर्सी दे न कोय जिसे कुर्सी पहले मिलेवो कुर्सी का होय ..० राकेश 'सोहम'
डब्बे में बंद करके कुर्सी ही तो दी है...ताकि कोई देख न ले लाते हुए. :)
कूर्सी मिली तो ये सब भी अपने आप पा लेगें. कुर्सी लाओ...
nice cartoonsread all of them
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4 टिप्पणियां:
डूबे जी !
ये तो सांता नहीं..... संता और बंता हैं!!
कुर्सी -कुर्सी सब भजें,
कुर्सी दे न कोय
जिसे कुर्सी पहले मिले
वो कुर्सी का होय ..
० राकेश 'सोहम'
डब्बे में बंद करके कुर्सी ही तो दी है...ताकि कोई देख न ले लाते हुए. :)
कूर्सी मिली तो ये सब भी अपने आप पा लेगें. कुर्सी लाओ...
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