2 फ़रवरी 2009

स्कूल में मनाया गया ग्रैंड परेंट्स डे ............एक कार्टून


13 टिप्‍पणियां:

भारतीय नागरिक - Indian Citizen ने कहा…

bahut kathor maar ki hai.

Unknown ने कहा…

शानदार ........
.....................
.......
दिल को चीर गया
इतना पैना,धारदार कार्टून.
बधाई.

संजय बेंगाणी ने कहा…

कंटिला

Vinay ने कहा…

बहुत सुन्दर चित्र

----------
ज़रूर पढ़ें:
हिन्द-युग्म: आनन्द बक्षी पर विशेष लेख

लाल और बवाल (जुगलबन्दी) ने कहा…

वाह वाह डूबेजी, कितनी बड़ी बात कितने सहज में व्यक्त कर दी आपने।

विष्णु बैरागी ने कहा…

आपने तो असंख्‍य असहाय वृध्‍दों की पीडा को वाणी दे दी।
गंगों को वाणी देने वाला और वाचालों की बोलती बन्‍द कर देने वाला शानदार, तीखा कार्टून।
साधुवाद।

Gyan Dutt Pandey ने कहा…

बहुत से वृद्ध हैं जो चिरौरी कर अस्पताल में ही बने रहना चाहते हैं। घर में उनके लिये सम्मानजनक जगह नहीं है। रेलवे अस्पताल में ऐसा बहुत देखने में आ रहा है।
ऐसा बढ़ता जा रहा है।

Girish Kumar Billore ने कहा…

दुबे जी
आज कल यही हो रहा है
सच कितना मार्मिक संदेश
छिपाया है इस कार्टून में
सर्वोत्तम लिख दूँ जी
कोई बिलोरन तो न होगी

संगीता पुरी ने कहा…

बहुत सुंदर बनाया....आंखे भर आयी...

विजय तिवारी " किसलय " ने कहा…

हमारी संस्कृति में वृद्धाश्रम जैसी कोई सराय हुआ ही नहीं करती थी, सो हमारी पूर्व पीढी दादा-दादी दिवस मनाना जानती ही नहीं थी, क्योंकि उन्हें तो रोज देव स्वरूप दादा-दादी की सेवा सुश्रूषा में स्वर्गिक आनंद मिलता था,
आज इसकी आवश्यकता इस लिए है कि आज वो हमारे पास नहीं होते,
हम इस पीड़ा का अनुभव कल करेंगे जब हमें कोई दादा-दादी पुकारने वाला नहीं होगा .
- विजय

विजय तिवारी " किसलय " ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
anil shrivastava ने कहा…

JO APNE BADE BUJURGO KI UPEKCHA KARTE HAI.UNKE UPER YE VAJRAPAT HAI,BAHUT KATHORE PAINA CARTOON,APNE BAHUT ACCHA TEER MARA HAI.LAGE RAHO BHAIJI.

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

Aap logon ki to duniya hi alag hai.....? bhot khub....!