13 जुलाई 2008

doobeyji


doobeyji

5 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

bhut achhe.

Prabhakar Pandey ने कहा…

नमस्कार। बहुत ही सुंदर। रोचक एवं यथार्थ।

सतीश पंचम ने कहा…

wah.....wah... अच्छा लिखा....जारी रखें

राजीव रंजन प्रसाद ने कहा…

बिलकुल सच है राजेश जी, हडताल में तो ईमानदारी है :)


***राजीव रंजन प्रसाद

नीरज गोस्वामी ने कहा…

वाह...भाई वाह.
हम समझे ये तैरेंगे
क्यूँ भईया ये डूबे जी
नीरज