मेरे लिए कार्टून एक विधा से बढकर,व्यंग के सारथी के समान,एक सामाजिक आंदोलन हैं.....
हा हा .. खरी बात
हा हा.... सही कहा। हालत तो कुछ ऐसी ही होनी है... या फिर दिल्ली जाकर बस जाना होगा। वहां की सरकार को इंसान के घास खाने की थोड़ी परवाह हो गई लगती है।
bahut sahi ...ab bechaare jaanvaron ko saavdhan ho jana chahiye.
मंहगाई ऐसे ही बढ़ती रही तो कह सकते हैं--हां एक दिन वो भी आयेगाजब आदमी घास खायेगा
:) :) :)हा हा हा
और कोई चारा भी तो नहीं :)
vinodpriy kalpana
:)मंहगाई एक दिन यह भी करवा ही देगी.
हा!हा!हा! बहुत बढिया...
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10 टिप्पणियां:
हा हा .. खरी बात
हा हा.... सही कहा। हालत तो कुछ ऐसी ही होनी है... या फिर दिल्ली जाकर बस जाना होगा। वहां की सरकार को इंसान के घास खाने की थोड़ी परवाह हो गई लगती है।
bahut sahi ...ab bechaare jaanvaron ko saavdhan ho jana chahiye.
मंहगाई ऐसे ही बढ़ती रही
तो कह सकते हैं--
हां एक दिन वो भी आयेगा
जब आदमी घास खायेगा
:) :) :)
हा हा हा
और कोई चारा भी तो नहीं :)
vinodpriy kalpana
:)
मंहगाई एक दिन यह भी करवा ही देगी.
हा!हा!हा! बहुत बढिया...
हा!हा!हा! बहुत बढिया...
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