हा!हा!हा!.........बढिया....पीछे बैठे साँड को भी बडा आश्चर्य हो रहा है,कि आज पान की दुकान छोड,जनाब यहाँ,इस अनोखी मुद्रा में क्या कर रहें है। मंत्रीयो के काफिले ,बढते पैट्रोल के दाम.....चुपचाप खडे डुबे जी की पैट्रौल खत्म न हो। मजा आया।
हा!हा!हा!.........बढिया....पीछे बैठे साँड को भी बडा आश्चर्य हो रहा है,कि आज पान की दुकान छोड,जनाब यहाँ,इस अनोखी मुद्रा में क्या कर रहें है। मंत्रीयो के काफिले ,बढते पैट्रोल के दाम.....चुपचाप खडे डुबे जी की पैट्रौल खत्म न हो। मजा आया।
7 टिप्पणियां:
भाई वाह! क्या कटाक्ष मारा है
जोरदार व्यंग्य.
एक बात कहना चाहूँगा कार्टून की हैडिंग भी दिया करें तो और अच्छा लगेगा.
बहुत सही.
बहुत अच्छा कटाक्ष।
***राजीव रंजन प्रसाद
KUCH KAMI REH GAYI
हा!हा!हा!.........बढिया....पीछे बैठे साँड को भी बडा आश्चर्य हो रहा है,कि आज पान की दुकान छोड,जनाब यहाँ,इस अनोखी मुद्रा में क्या कर रहें है। मंत्रीयो के काफिले ,बढते पैट्रोल के दाम.....चुपचाप खडे डुबे जी की पैट्रौल खत्म न हो। मजा आया।
हा!हा!हा!.........बढिया....पीछे बैठे साँड को भी बडा आश्चर्य हो रहा है,कि आज पान की दुकान छोड,जनाब यहाँ,इस अनोखी मुद्रा में क्या कर रहें है। मंत्रीयो के काफिले ,बढते पैट्रोल के दाम.....चुपचाप खडे डुबे जी की पैट्रौल खत्म न हो। मजा आया।
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