मेरे लिए कार्टून एक विधा से बढकर,व्यंग के सारथी के समान,एक सामाजिक आंदोलन हैं.....
शोले तो पाठ्यक्रम में आ ही गई है। इतिहास की एसी दुर्दशा न हों तो अच्छा है। फिल्म और क्रिकेट का अतिक्रमण बढता जा रहा है। बधाई!
हा हा!! यही सीख रहे हैं आजकल बच्चे.
बिलकुल सच है...बच्चों को स्वतंत्रता क्या है शायद यह भी नहीं पता आज कल तो सेनानी "आउट ऑफ सिलेबस" ही है :)***राजीव रंजन प्रसाद
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शोले तो पाठ्यक्रम में आ ही गई है। इतिहास की एसी दुर्दशा न हों तो अच्छा है। फिल्म और क्रिकेट का अतिक्रमण बढता जा रहा है। बधाई!
हा हा!! यही सीख रहे हैं आजकल बच्चे.
बिलकुल सच है...बच्चों को स्वतंत्रता क्या है शायद यह भी नहीं पता आज कल तो सेनानी "आउट ऑफ सिलेबस" ही है :)
***राजीव रंजन प्रसाद
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