मेरे लिए कार्टून एक विधा से बढकर,व्यंग के सारथी के समान,एक सामाजिक आंदोलन हैं.....
शव आसन में पड़े रहकर पुलिस को मुर्ख तो बनाया ही जा सकता है . पुलिस वाले तो शवों पर सुखासन लगाकर फोटुएं खिंचवाते हैं और पदोन्नति पा जाते हैं . बहुत मज़ेदार है जी, डूबे जी .
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शव आसन में पड़े रहकर पुलिस को मुर्ख तो बनाया ही जा सकता है .
पुलिस वाले तो शवों पर सुखासन लगाकर फोटुएं खिंचवाते हैं और पदोन्नति पा जाते हैं .
बहुत मज़ेदार है जी, डूबे जी .
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