28 नवंबर 2008

मुंबई में आतंकी हमला

5 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

बिल्कुल सटीक..ये कैसे जान पाते.

MANVINDER BHIMBER ने कहा…

बिल्कुल सटीक..

प्रवीण त्रिवेदी ने कहा…

" शोक व्यक्त करने के रस्म अदायगी करने को जी नहीं चाहता. गुस्सा व्यक्त करने का अधिकार खोया सा लगता है जबआप अपने सपोर्ट सिस्टम को अक्षम पाते हैं. शायद इसीलिये घुटन !!!! नामक चीज बनाई गई होगी जिसमें कितनेही बुजुर्ग अपना जीवन सामान्यतः गुजारते हैं........बच्चों के सपोर्ट सिस्टम को अक्षम पा कर. फिर हम उस दौर सेअब गुजरें तो क्या फरक पड़ता है..शायद भविष्य के लिए रियाज ही कहलायेगा।"

समीर जी की इस टिपण्णी में मेरा सुर भी शामिल!!!!!!!
प्राइमरी का मास्टर

भारतीय नागरिक - Indian Citizen ने कहा…

कंधार काण्ड के समय भी यही हुआ था. खुफिया एजेंसियों की जरूरत है ही नहीं.

anil shrivastava ने कहा…

india is a majic country.everything is possible here.