मेरे लिए कार्टून एक विधा से बढकर,व्यंग के सारथी के समान,एक सामाजिक आंदोलन हैं.....
बात सही है, खाओ मिठाई...खिलाओ मिठाई...
कल किसने देखा है-आज तो मौज करो!!
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