4 मई 2008

कार्टून ही क्यों?

भौतिकशास्त्र का नियम है,"आकृति में बाह्य बल लगने पर विकृति उत्पन्न होती है"समाजिक,राजनैतिक विसंगतिया और दोमुहाँपन,पाखंड एसे ही बाह्य बल है,जिनसे मेरे कार्टून बनते है। मेरे गुरु परसाई जी कहते थे,व्यंग के मूल में करुणा होती है। प्रत्येक वाह के बाद आह बहूत देर तक गूँजती रहे, डूबते राजनैतिक,सामाजिक मूल्यों को बचाने की जद्दोजद में डुबेजी इस ब्लाँग के माध्यम से आप से मिलते रहेगें।

3 टिप्‍पणियां:

अनूप शुक्ल ने कहा…

बधाई! अच्छे लगे कार्टून!

ek aam aadmi ने कहा…

bahut badhhiya hain

Surakh ने कहा…

मजा आ गया, अच्छे कार्टून